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गोंडवाना विद्यापीठ एवं तीन महाविद्यालयों पर आरटीआई कानून उल्लंघन का आरोप — कुलगुरु से की गई कड़ी कार्रवाई की मांग

मुख्य संपादक-हिमायूं अली, मोबाइल नंबर -8975250567

चंद्रपुर / गडचिरोली —माहिती अधिकार कार्यकर्ता महासंघ, चंद्रपुर के जिला अध्यक्ष श्री हिमायूँ इसराइल अली ने गोंडवाना विद्यापीठ, गडचिरोली के जनमाहिती अधिकारी व कुलसचिव, सहायक कुलसचिव (विशेष मागासवर्ग कक्ष) तथा तीन महाविद्यालयों के प्राचार्यों पर माहिती अधिकार अधिनियम 2005 के उल्लंघन का गंभीर आरोप लगाते हुए कुलगुरु महोदय को लिखित शिकायत प्रस्तुत की है।

शिकायत के अनुसार, दिनांक 17/06/2025 को जिला अधिकारी कार्यालय, गडचिरोली में ऑनलाइन आरटीआई आवेदन किया गया था, जिसे 23/06/2025 को धारा 6(3) के तहत गोंडवाना विद्यापीठ को फॉरवर्ड किया गया।

इसके बाद विद्यापीठ की ओर से संबंधित तीन महाविद्यालयों—

1. रीनायसंस इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, चंद्रपुर

2. सौ. लीना किशोर मामीडवार इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडी एंड रिसर्च, कोसारा, चंद्रपुर 

3. बल्लारपूर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बामणी, ता.बल्लारपुर, जि.चंद्रपुर

—को जानकारी उपलब्ध कराने हेतु पत्र जारी किया गया, परंतु किसी भी संस्थान ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।

सिर्फ कोसारा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. जे. एन. चक्रवर्ती ने पत्र भेजकर यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया कि “महाविद्यालय अनुदानरहित है, इसलिए आरटीआई लागू नहीं होता।”

शिकायतकर्ता ने कहा कि न तो किसी कोर्ट आदेश का संदर्भ दिया गया और न ही कोई प्रमाण संलग्न किया गया।

प्रथम अपील भी विफल — विद्यापीठ ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा

जानकारी न मिलने पर 29/07/2025 को प्रथम अपील गोंडवाना विद्यापीठ में दाखिल की गई। लेकिन 11/09/2025 को विद्यापीठ ने उल्टा यह कहते हुए अपील ठुकरा दी कि “अपील महाविद्यालय में करें।”

जबकि आरटीआई कानून के अनुसार जब आवेदन विद्यापीठ द्वारा फॉरवर्ड किया गया है, तो अपील भी वहीं स्वीकार की जानी चाहिए।

    कुलगुरु से कार्रवाई की मांग

शिकायतकर्ता ने कुलगुरु से मांग की है कि,कायदे की जानकारी न रखने वाले जन माहिती अधिकारी एवं कुलसचिव,सहायक माहिती अधिकारी,तथा तीनों महाविद्यालयों के प्राचार्य पर शासकीय नियमों के अनुसार अनुशासनात्मक एवं वैधानिक कार्रवाई की जाए।

   उच्च न्यायालय जाने की चेतावनी

 हिमायूँ इसराइल अली ने स्पष्ट कहा है कि यदि नियमानुसार कार्रवाई नहीं होती है तो यह प्रकरण उच्च न्यायालय में उठाया जाएगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होगी।

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