भ्रष्टाचार में संलिप्त सरपंच को पद से बर्खास्त, पत्रकार परिषद में प्रियंका ठमके ने दी जानकारी
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चंद्रपुर। चिमूर तहसील के वहानगांव में मनमानी ढंग से शासन करने वाले सरपंच प्रशांत कोल्हे को भ्रष्टाचार के आरोप में उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया। यह खुलासा एक महिला की साहसिक शिकायत के बाद हुआ, जिसकी जानकारी पत्रकार परिषद में प्रियंका ठमके ने दी।
प्रियंका ठमके ने बताया कि सरपंच कोल्हे ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही नियमों और कानूनों की अनदेखी करते हुए गांव पर वर्चस्व जमाना शुरू कर दिया था। वे प्रशासनिक कामकाज में मनमानी करते थे और ग्रामीणों के बीच तनाव का माहौल उत्पन्न कर रहे थे।
महिला मंगला गौरकर के मृत्यु के बाद सरपंच कोल्हे ने एक बेहद गंभीर कृत्य अंजाम दिया। उन्होंने मृतक महिला के असली वारिसों को दरकिनार कर मौजा खरसंगी की एक अन्य महिला को वारसा प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि सरपंच को वारसा प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।
प्रियंका ठमके ने आरोप लगाया कि यह सत्ते का गलत उपयोग था। उन्होंने बताया कि औरंगाबाद खंडपीठ और अन्य न्यायालयों के आदेश के बाद यह अवैध कार्य उजागर करने हेतु नागपुर के विभागीय आयुक्त को तक्रार दी गई। तक्रार के आधार पर ग्राम पंचायत के कार्यों की दो साल लंबी जांच की गई। इस जांच में यह तथ्य सामने आया कि पंचायत निधि में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार हुआ था। पंचायत समिति ने इसका पूरा अहवाल जिल्हा परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को भेजा।
सीईओ ने इस भ्रष्टाचार की जांच के आधार पर सरपंच प्रशांत कोल्हे को इस पद के लिए अपात्र घोषित करने की सिफारिश की। नागपुर के विभागीय आयुक्त ने भी इस कार्रवाई को समर्थन दिया और अंततः सरपंच कोल्हे को पद से बर्खास्त कर दिया गया।
प्रियंका ठमके ने यह भी बताया कि बर्खास्तगी के बाद भी सरपंच प्रशांत कोल्हे शासन को दोषी ठहरा रहे हैं और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के केबिन में झूठे बयान दे रहे हैं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया – “यदि सरपंच को वारसा प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है, तो फिर उनकी स्वाक्षरी और शिक्का वाला प्रमाण पत्र दूसरी महिला तक कैसे पहुँचा?” इस सवाल से यह साफ जाहिर होता है कि सरपंच प्रशांत कोल्हे प्रशासन को भ्रामक सूचना दे रहे हैं।
प्रियंका ठमके ने मीडिया के माध्यम से यह जानकारी सार्वजनिक कर प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया।



