न्यायाधीश बनीं योजना बावरे: माता-पिता के सपनों को किया साकार
मुख्य संपादक - हिमायुँ अली,मोबाइल नंबर -8975250567

चंद्रपुर | कठिन परिश्रम, समर्पण और परिवार के सपनों को साकार करने का जज़्बा—यही कहानी है न्यायाधीश बनीं योजना अशोक बावरे की। चंद्रपुर के नगिना बाग क्षेत्र की निवासी योजना ने अपनी शिक्षा के दौरान कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अपनी मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद से उन्होंने न्यायाधीश पद प्राप्त कर दिखाया।
योजना ने अपनी प्रारंभिक विधि शिक्षा (LLB) गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से 2021 में पूरी की, इसके बाद उन्होंने LLM के लिए विश्वकर्मा यूनिवर्सिटी, पुणे का चयन किया। हालांकि पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपने दूसरे प्रयास के लिए उन्होंने पुणे में प्रसिद्ध विधि विशेषज्ञ अॅड. गणेश शिरसाठ सर से मार्गदर्शन लिया। इसके अलावा, कोर्ट की बारीकियों को समझने में अॅड. बेग सर का भी विशेष योगदान रहा।
योजना के जीवन में एक बड़ी त्रासदी 2021 में आई, जब उन्होंने अपने पिता को एक लंबी बीमारी के कारण खो दिया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की। 29 मार्च 2025 की रात 8 बजे जब परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ, तो उन्होंने 14वीं रैंक हासिल कर न्यायाधीश पद प्राप्त किया।
योजना कहती हैं, “मेरे माता-पिता ने मेरे लिए जो सपना देखा था, उसे पूरा करना ही मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य था। मुझे लगता है कि हर बेटे-बेटी को अपने माता-पिता की आंखों में जो सपने होते हैं, उन्हें साकार करने के लिए पूरी मेहनत करनी चाहिए। यही असली सफलता है।”
योजना की सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे चंद्रपुर के लिए गर्व की बात है। उनकी यह यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणास्रोत है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखता है।